संधि किसे कहते हैं
दो समीपवर्ती वर्णों के मिलने से जो परिवर्तन (विकार) उत्पन्न होता है उसे संधि कहते है |
संधि में पहले शब्द का अंतिम वर्ण तथा दूसरे शब्द का पहला(आदि) वर्ण का मेल होता है |
उदाहरण :
– विद्या + आलय = विद्यालय (आ +आ = आ)
– जगत + नाथ = जगन्नाथ (त् + न = न्न)
– उत् + योग = उद्योग (त् + य = द)
संधि के प्रकार
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग सन्धि
स्वर संधि
दो स्वरों के मेल से जो परिवर्तन(विकार) होता है उसे स्वर सन्धि कहते हैं ।
उदाहरण :
हिम + आलय = हिमालय [अ + आ = आ ]
हिम का अंतिम वर्ण म तथा आलय का पहला वर्ण आ
(म् + अ = म)
‘म’ में ‘अ’ स्वर जुड़ा हुआ है
विद्या = आलय = विद्यालय (आ +आ = आ )
स्वर संधि के प्रकार
स्वर संधि पाँच प्रकार की होती है
- दीर्घ स्वर संधि
- गुण स्वर संधि
- वृध्दि स्वर संधि
- यण स्वर संधि
- अयादि स्वर संधि
(i)- दीर्घ स्वर संधि
जब दोनों वर्णो के स्वर (पहले शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का पहला वर्ण) मिलकर दीर्घ (आ, ई, ऊ ) हो जाते है उसे दीर्घ स्वर संधि कहते है
दीर्घ स्वर संधि के नियम और उदाहरण: | |||
अ + अ = आ – राम + अयन = रामायण अ + आ = आ – राम + आधार = रामाधार आ + आ =आ – वार्ता + आलाप = वार्तालाप आ + अ = आ – रेखा + अंश = रेखांश | इ + इ = ई – कपि + इंद्र = कपीन्द्र इ + ई = ई – मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर ई + ई = ई – मही + इंद्र = महीन्द्र ई + इ = ई – योगी + ईश्वर = योगीश्वर | ||
उ + उ = ऊ – गुरु + उपदेश = गुरुपदेश उ + ऊ = ऊ – साधु + ऊर्जा = साधूर्जा ऊ + उ = ऊ – भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग ऊ + ऊ = ऊ – भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व | ऋ + ऋ = ऋ – पितृ + ऋण = पितृण |
(ii)- गुण स्वर संधि
यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘इ’ या ‘ई’ आए तो दोनों मिलकर ‘ए’ हो जाता है
यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘उ’ या ‘ऊ’ आए तो दोनों मिलकर ‘ओ’ हो जाता है
यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ऋ ‘ आए तो दोनों मिलकर ‘अर्’ हो जाता है।
इस मेल को गुण स्वर संधि कहते हैं ।
गुण संधि के नियम और उदाहरण: | |||
अ + इ = ए – बाल + इंद्र = बालेन्द्र आ + इ = ए – रमा + इंद्र = रमेंद्र अ + ई = ए – उप + ईच्छा = उपेक्षा आ + ई = ए – राका + ईश = राकेश | अ + उ = ओ – वन + उत्सव = वनोत्सव अ + ऊ = ओ – समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि आ + उ = ओ – महा = उपदेश = महोपदेश आ + ऊ = ओ – गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि | ||
अ + ऋ= अर – देव + ऋषि = देवर्षि | आ + ऋ = अर् – राजा + ऋषि = राजर्षि |
(iii)- वृद्धि स्वर सन्धि
यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ए’ या ‘ऐ’ हो तो ‘ऐ’ एवं
‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ओ’ और ‘औ’ हो तो ‘औ’ बन जाता है । इसे वृध्दि स्वर सन्धि कहते हैं
वृद्धि संधि के नियम और उदाहरण : | |||
अ + ए = ऐ – एक + एक = एकैक | अ + ऐ = ऐ – हित + ऐषी = हितैषी | ||
आ + ए = ऐ – सदा + एव = सदैव | आ + ऐ = ऐ – महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य | ||
अ + ओ = औ – वन + ओषधि = वनौषधि | आ + ओ = औ – गंगा + ओध = गंगौध | ||
अ + औ = औ – परम + औषध = परमौषध | आ + औ = औ – महा + औषध = महौषध |
(iv)- यण स्वर संधि
यदि ‘इ’ या ‘ई’ के बाद कोई भिन्न स्वर आये तो ‘इ’ और ‘ई’ का ‘य’ हो जाता है
‘उ’ या ‘ऊ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आये तो ‘उ’ या ‘ऊ’ का ‘व’ हो जाता है
और ऋ का ‘र’ हो जाता है । इसे यण स्वर संधि कहते हैं ।
यण संधि के नियम और उदाहरण : | |||
इ + अ = य – अति + अन्त = अत्यन्त इ + आ = या – वि + आकुल = व्याकुल इ + ए = ये – प्रति + एक = प्रत्येक इ + उ = य – अभि + उदय = अभ्युदय इ + ऊ = यू – नि + ऊन = न्यून ई + आ = या – सखी + आगमन = सख्यागमन ई + ऐ = यै – देवी + ऐश्वर्य = देव्यैश्वर्य | उ + अ = व – अनु + अव = अन्वय उ + आ = वा – मधु + आचार्य = मध्वाचार्य उ + इ = वि – अनु + इति = अन्विति उ + ई = वी – अनु + वीक्षण = अनुवीक्षण उ + ए = वे – अनु + एषण = अन्वेषण ऊ + आ = वा – वधू + आगमन = वध्वागमन ऊ + ऐ = वै – वधू + ऐश्वर्य = वध्वैश्वर्य | ||
ऋ + अ = र – पितृ +अनुमति = पित्रनुमति ऋ + आ = रा – मातृ + आज्ञा = मात्रज्ञा ऋ + इ = रि – मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा |
(v)- अयादि स्वर संधि
यदि ‘ए’ ‘ऐ’ ‘ओ’ ‘औ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो
‘ए’ का ‘अय’,
‘ऐ’ का ‘आय’ ,
‘ओ’ का अव तथा
‘औ’ का ‘आव’
हो जाता है । इस परिवर्तन को अयादि सन्धि कहते हैं ।
अयादि संधि के नियम और उदाहरण : | |||
ए + अ = अय् – ने + अन = नयन ऐ + अ = आय् – नै + अक = नायक ऐ + इ = आयि – गै + इका = गायिका | ओ + अ = अव – भो + अन = भवन ओ + इ = अव् – पो + इत्र = पवित्र ओ + ई = अवी – गो + ईश = गवीश | ||
औ + अ = आव् – पौ + अक = पावक औ + इ = आवि –नौ + इक = नाविक औ + उ = आवु – भौ + उक = भावुक |
व्यञ्जन सन्धि
व्यञ्जन वर्ण के साथ स्वर वर्ण या
व्यंजन वर्ण के साथ व्यंजन या
स्वर वर्ण के साथ व्यंजन वर्ण
के मेल से जो परिवर्तन होता है , उसे व्यंजन संधि कहते हैं । इस संधि में दोनों वर्ण स्वर नहीं हो सकते दो वर्णों में से एक वर्ण व्यंजन या दोनों वर्ण व्यजन हो सकते हैं |
उदाहरण
अभि + सेक = अभिषेक ( यहाँ स्वर से व्यंजन वर्ण का मेल हुआ है )
सत् + चित + आनंद = सच्चिदानंद ( यहाँ व्यंजन से व्यंजन एवं व्यंजन से स्वर का मेल हुआ है )
दिक् + गज = दिग्गज ( यहाँ व्यंजन से व्यंजन वर्ण का मेल हुआ है )
विसर्ग संधि
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से होने वाले परिवर्तन को विसर्ग संधि कहते हैं ।
उदाहरण
नि: आशा = निराशा
भाः + कार = भास्कर
मन: + योग = मनोयोग
धनु: + टंकार = धनुष्टंकार